Saturday 21 October 2017

हिंदी मुहावरे

मुहावरा ऐसे वाक्यांश होते है, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराते हैं  , मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है
  • अँगूठा दिखाना (समय पर धोखा देना)- अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।
  • अँचरा पसारना (माँगना, याचना करना)- हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।
  • अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)
  • अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना)- माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।
  • अंकुश देना- (दबाव डालना)
  • अंग टूटना (थकान का दर्द)- इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
  • अंग में अंग चुराना- (शरमाना)
  • अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर होना)
  • अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध करना)
  • अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में डालना, इतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।
  • अंगारों पर लेटना (डाह होना, दुःख सहना) वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।
  • अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)
  • अकेला दम (अकेला)- मेरा क्या ! अकेला दम हूँ; जिधर सींग समायेगा, चल दूँगा।
  • अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।
  • अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)- इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?
  • अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)- राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
  • अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर जी अक्ल का पुतला थे।
  • अक्ल की दुम (अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला)- दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।
  • अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)- वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।
  • अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भष्ट होना)- विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।
  • अगले जमाने का आदमी (सीधा-सादा, ईमानदार)- आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।
  • अगिया बैताल- (क्रोधी)
  • अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)
  • अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)
  • अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)
  • अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।
  • अढाई दिन की हुकूमत (कुछ दिनों की शानोशौकत)- जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।
  • अण्टी मारना (चाल चलना)- ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।
  • अण्ड-बण्ड कहना (भला-बुरा या अण्ट- सण्ट कहना)- क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।
  • अत्र लगना (स्वस्थ रहना)- उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।
  • अत्र-जल उठना (रहने का संयोग न होना, मरना)- मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।
  • अत्र-जल करना (जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।
  • अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना कठिन है।
  • अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।
  • अन्धा बनना (आगे-पीछे कुछ न देखना)- धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।
  • अन्धा बनाना (धोखा देना)- मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।
  • अन्धा होना (विवेकभ्रष्ट होना)- अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो ?
  • अन्धाधुन्ध लुटाना (बिना विचारे व्यय)- अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?
  • अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)- भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा।
  • अन्धेर नगरी (जहाँ धांधली का बोलबाला हो)- इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है।
  • अन्धेरखाता (अन्याय)- मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।
  • अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)
  • अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)- आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
  • अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)- बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
  • अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)
  • अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
  • अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होना, अलग रहना)-यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
  • अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।
  • अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।
  • अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
  • अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (स्वयं अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।
  • अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।
  • अब-तब होना (परेशान करना या मरने के करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।
  • अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)
  • अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)
  • आँख का तारा - (बहुत प्यारा)- आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
  • आँख भर आना (आँसू आना)- बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।
  • आँखे खुलना (सचेत होना)- ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।
  • आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना)- राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
  • आँखों में बसना (हृदय में समाना)- वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।
  • आँच न आने देना (जरा भी कष्ट या दोष न आने देना)- तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच न आने दूँगा।
  • आकाश छूना- (बहुत ऊँचा होना)
  • आकाश से तारे तोड़ना- (कठिन कार्य करना)
  • आकाश-पाताल एक करना- (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना)
  • आग उगलना- (क्रोध प्रकट करना)
  • आग का पुतला- (क्रोधी)
  • आग पर आग डालना- (जले को जलाना)
  • आग पर पानी डालना- (क्रुद्ध को शांत करना, लड़नेवालों को समझाना-बुझाना)
  • आग पानी का बैर- (सहज वैर)
  • आग बबूला होना- (अति क्रुद्ध होना)
  • आग बोना- (झगड़ा लगाना)
  • आग में कूद पड़ना- (खतरा मोल लेना)
  • आग में घी डालना- (झगड़ा बढ़ाना, क्रोध भड़काना)
  • आग रखना- (मान रखना)
  • आग लगने पर कुआँ खोदना- (पहले से करने के काम को ऐन वक़्त पर करने चलना)
  • आग लगाकर तमाशा देखना- (झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना)
  • आग लगाकर पानी को दौड़ाना- पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)
  • आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना)
  • आटे-दाल का भाव मालूम होना- (सांसरिक कठिनाइयों का ज्ञान होना)
  • आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना)- इस उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना।
  • आड़े आना- (नुकसानदेह)
  • आड़े हाथों लेना- (झिड़कना, बुरा-भला कहना)
  • आन की आन में- (फौरन ही)
  • आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना)- धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।
  • आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना)- पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो ?
  • आसमान दिखाना- (पराजित करना)
  • आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)- आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।
  • आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)- उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।
  • इधर-उधर करना- (टालमटोल करना)
  • इन्द्र का अखाड़ा-(ऐश-मौज की जगह)
  • ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।
  • ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश लाना )- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।
  • ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)- तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।
  • उड़ती चिड़िया पहचानना (मन की या रहस्य की बात ताड़ना )- कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान लेता हुँ।
  • उन्नीस बीस का अंतर होना (एक का दूसरे से कुछ अच्छा होना )- दोनों गाये बस उन्नीस-बीस है।
  • उलटी गंगा बहाना (अनहोनी हो जाना)- राम किसी से प्रेम से बात कर ले, तो उलटी गंगा बह जाए।
  • एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना- (खूब परिश्रम करना)
  • एक आँख न भाना- (तनिक भी अच्छा न लगना)
  • एक आँख से देखना (बराबर मानना )- प्रजातन्त्र वह शासन है जहाँ कानून मजदूरी अवसर इत्यादि सभी मामले में अपने सदस्यों को एक आँख से देखा जाता है।
  • एक न चलना- (कोई उपाय सफल न होना)
  • एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।
  • एक से तीन बनाना- (खूब नफा करना)
  • ओखली में सिर देना- इच्छापूर्वक किसी झंझट में पड़ना, कष्ट सहने पर उतारू होना)
  • ओस के मोती- (क्षणभंगुर)
  • कचूमर निकालना- (खूब पीटना)
  • कटे पर नमक छिड़कना- विपत्ति के समय और दुःख देना)
  • कण पकरना (बाज आना)- कान पकड़ो की फिर ऐसा काम न करोगे।
  • कन्नी काटना- (आँख बचाकर भाग जाना)
  • कपास ओटना- (सांसरिक काम-धन्धों में लगे रहना)
  • कमर कसना (तैयार होना)- शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए
  • कमर टूटना (बेसहारा होना )- जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।
  • करवटें बदलना- (अड़चन डालना)
  • कल पड़ना (चैन मिलना)- कल रात वर्षा हुई, तो थोड़ी कल पड़ी।
  • कलई खुलना- (भेद प्रकट होना)
  • कलम तोड़ना (बढ़िया लिखना)- वाह ! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।
  • कलेजा फटना- (दिल पर बेहद चोट पहुँचना)
  • कलेजा मुँह का आना (भयभीत होना )- गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को आ गया
  • कलेजे पर साँप लोटना (डाह करना )- जो सब तरह से भरा पूरा है, दूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों लोटे।
  • काँटा निकलना (बाधा दूर होना)- उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला।
  • काँटे बोना- (बुराई करना)
  • काँटों में घसीटना- (संकट में डालना)
  • कागज काला करना (बिना मतलब कुछ लिखना)- वारिसशाह ने अपनी 'हीर' के शुरू में ही प्रार्थना की है- रहस्य की बात लिखनेवालों का साथ दो, कागज काला करनेवालों का नहीं।
  • कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना)- आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।
  • काठ मार जाना- (स्तब्ध हो जाना)
  • कान खोलना (सावधान होना)- कान खोलकर सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।
  • कान देना (ध्यान देना)- पिता की बातों पर कण दिया करो।
  • काम तमाम करना- (मार डालना)
  • काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)
  • काला अक्षर भैंस बराबर- (अनपढ़, निरा मूर्ख)
  • किताब का कीड़ा होना (पढाई के अलावा कुछ न करना )- विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ शरीर और उत्रत मस्तिष्कवाला होनहार युवक होना है।
  • किनारा करना- (अलग होना)
  • किरकिरा होना (विघ्र आना)- जलसे में उनके शरीक न होने से सारा मजा किरकिरा हो गया।
  • किस खेत की मूली- (अधिकारहीन, शक्तिहीन)
  • किस खेत की मूली (अधिकारहीन, शक्तिहीन)- मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?
  • किस मर्ज की दवा (किस काम के)- चाहते हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो?
  • कीचड़ उछालना- (निन्दा करना)
  • कुआँ खोदना (हानि पहुँचाने के यत्न करना)- जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।
  • कुत्ते की मौत मरना (बुरी तरह मरना)- कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या।
  • कोदो देकर पढ़ना- (अधूरी शिक्षा पाना)
  • कोल्हू का बैल- (खूब परिश्रमी)
  • कोसों दूर भागना (बहुत अलग रहना)- शराब की क्या बात, मै तो भाँग से कोसों दूर भागता हुँ।
  • कोहराम मचाना- (दुःखपूर्ण चीख -पुकार)
  • कौड़ी का तीन समझना- (तुच्छ समझना)
  • कौड़ी काम का न होना- (किसी काम का न होना)
  • कौड़ी के मेल बिकना- (बहुत सस्ता बिकना)
  • कौड़ी-कौड़ी जोड़ना- (छोटी-मोटी सभी आय को कंजूसी के साथ बचाकर रखना)
  • खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक जाना)- बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।
  • खटिया सेना- (बीमार होना)
  • खम खाना- (दबना, नष्ट होना)
  • खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)- कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?
  • ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।
  • खाक में मिलना- (बर्बाद होना)
  • खा-पका जाना- (बर्बाद करना)
  • खार खाना- (डाह करना)
  • खुशामदी टट्टू- (मुँहदेखी करना)
  • खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)
  • खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)- उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।
  • खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।
  • खून पीना- (मार डालना, सताना )
  • खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)
  • खून सवार होना- (किसी को मार डालने के लिए तैयार होना)
  • खून सूखना- (अधिक डर जाना)
  • खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।
  • खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।
  • खेल खेलाना- (परेशान करना)
  • खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।
  • ख्याली पुलाव- (सिर्फ कल्पना करना)
  • गंगा लाभ होना- (मर जाना)
  • गज भर की छाती होना- (उत्साहित होना)
  • गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?
  • गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)
  • गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)
  • गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।
  • गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
  • गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।
  • गले का हार होना(बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।
  • गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।
  • गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
  • गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)
  • गाल बजाना- (डींग मारना)
  • गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?
  • गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।
  • गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)
  • गुड़ गोबर करना- (बनाया काम बिगाड़ना)
  • गुड़ियों का खेल- (सहज काम)
  • गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।
  • गुरुघंटाल- (बहुत चालाक)
  • गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।
  • गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।
  • गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)
  • गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।
  • गोटी लाल होना- (लाभ होना)
  • घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।
  • घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)
  • घर का उजाला- (कुलदीप)
  • घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।
  • घर का मर्द- (बाहर डरपोक)
  • घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।
  • घाट-घाट का पानी पीना- (अच्छे-बुरे अनुभव रखना)
  • घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?
  • घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)
  • घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
  • घाव हरा होना- (भूले हुए दुःख को याद करना)
  • घास खोदना- (व्यर्थ काम करना)
  • घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ।
  • घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।
  • चकमा देना- (धोखा देना)
  • चण्डूखाने की गप- (झूठी गप)
  • चम्पत हो जाना- (भाग जाना)
  • चरबी छाना- (घमण्ड होना)
  • चल निकलना- (प्रगति करना, बढ़ना)
  • चल बसना (मर जाना)- बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।
  • चलता-पुर्जा- (काफी चालाक)
  • चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरना, घबराना)- साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।
  • चाँद का टुकड़ा- (बहुत सुन्दर)
  • चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना)- जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भला, चाँद पर भी थूका जाता है ?
  • चाँदी का जूता- (रूपये का जोर)
  • चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)- कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।
  • चाचा बनाना- (दण्ड देना)
  • चादर से बाहर पैर पसारना (आय से अधिक व्यय करना)- डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है ?
  • चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।
  • चार दिन की चाँदनी (थोड़े दिन का सुख)- राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो तुम किस खेत की मूली हो ?
  • चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना)- तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।
  • चिकने घड़े पर पानी पड़ना- (उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ना)
  • चिराग तले अँधेरा (पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण )- पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।
  • चींटी के पर जमना- (ऐसा काम करना जिससे हानि या मृत्यु हो
  • चींटी के पर लगना या जमना (विनाश के लक्षण प्रकट होना)- इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।
  • चुनौती देना- (ललकारना)
  • चुल्लू भर पानी में डूब मरना- (अत्यन्त लज्जित होना)
  • चूँ न करना (सह जाना, जवाब न देना)- वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहा, पर चूँ तक न की।
  • चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?
  • चैन की बंशी बजाना (मौज करना)- आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है।
  • चैन की वंशी बजाना- (सुख से समय बिताना)
  • चोटी का पसीना एँड़ी तक बहना- (खूब परिश्रम करना)
  • चोली-दामन का साथ- (काफी घनिष्ठता)
  • छः पाँच करना- (आनाकानी करना)
  • छक्के छुड़ाना- (खूब परेशान करना)
  • छक्के छूटना (बुरी तरह पराजित होना)- महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है।
  • छठी का दूध याद करना- (सुख भूल जाना)
  • छप्पर फाडकर देना (बिना मेहनत का अधिक धन पाना)- ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है।
  • छाती पर पत्थर रखना (कठोर ह्रदय)- उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।
  • छाती पर मूँग या कोदो दलना- (कष्ट देना)
  • छाती पर सवार होना (आ जाना)- अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।
  • छाती पर साँप लोटना- (किसी के प्रति डाह)
  • छोटी मुँह बड़ी बात- (योग्यता से बढ़कर बोलना)
  • जंगल में मंगल करना- (शून्य स्थान को भी आनन्दमय कर देना)
  • जड़ उखाड़ना- (पूर्ण नाश करना)
  • जबान में लगाम न होना- (बिना सोचे-समझे बोलना)
  • जमीन आसमान एक करना (बहुत प्रयन्त करना)- मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।
  • जमीन का पैरों तले से निकल जाना- (सन्नाटे में आना)
  • जमीन चूमने लगा- (धराशायी होना)
  • जलती आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना)- बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया।
  • जहर उगलना (द्वेषपूर्ण बात करना )- पडोसी देश चीन और पाकिस्तान हमारे देश के प्रति हमेशा जहर उगलते रहते है।
  • जान खाना- (तंग करना)
  • जान पर खेलना (साहसिक कार्य )- हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।
  • जी का जंजाल होना- (अच्छा न लगना)
  • जी खट्टा होना- (खराब अनुभव होना)
  • जी चुराना- (कोशिश न करना)
  • जी टूटना- (दिल टूटना)
  • जी लगना- (मन लगना)
  • जीती मक्खी निगलना- (जान-बूझकर बेईमानी या कोई अशोभनीय कार्य करना)
  • जूते चाटना (चापलूसी करना )- अफसरों के जूते चाटते -चाटते वह थक गया ,मगर कोई फल न निकला।
  • झक मारना (विवश होना)- दूसरा कोई साधन नहीं हैै। झक मारकर तुम्हे साइकिल से जाना पड़ेगा।
  • झाड़ मारना- (घृणा करना)
  • टका सा जबाब देना ( साफ़ इनकार करना)- मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।
  • टका-सा मुँह लेकर रह जाना- (लज्जित हो जाना)
  • टट्टी की आड़ में शिकार खेलना- (छिपकर बुरा काम करना)
  • टस से मस न होना ( कुछ भी प्रभाव न पड़ना)- दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।
  • टाँग अड़ाना (अड़चन डालना)- हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?
  • टाट उलटना- (व्यापारी का अपने को दिवालिया घोषित कर देना)
  • टुकड़ों पर पलना- (दूसरों की कमाई पर गुजारा करना)
  • टें-टें-पों-पों - (व्यर्थ हल्ला करना)
  • टेढ़ी खीर- (कठिन काम)
  • टोपी उछालना (अपमान करना)- अपने घर को देखो ,दूसरों की टोपी उछालने से क्या लाभ ?
  • ठगा-सा- (भौंचक्का-सा)
  • ठठेरे-ठठेरे बदला- (समान बुद्धिवाले से काम पड़ना)
  • ठन-ठन गोपाल- (मूर्ख, गरीब, कुछ नहीं)
  • डकार जाना ( हड़प जाना)- सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।
  • डींग हाँकना- (शेखी बघारना)
  • डूबते को तिनके का सहारा- (संकट में पड़े को थोड़ी मदद)
  • डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना- (अलग-अलग होकर काम करना)
  • डोरी ढीली करना- (सँभालकर काम न करना)
  • ढील देना- (अधीनता में न रखना)
  • ढेर करना- (मारकर गिरा देना)
  • ढेर होना- (मर जाना)
  • ढोल पीटना- (जाहिर करना)
  • तंग करना- (हैरान करना)
  • तंग हाथ होना- (निर्धन होना)
  • तरह देना- (ख्याल न करना)
  • तलवे चाटना या सहलाना- (खुशामद करना)
  • तह देना- (दवा देना)
  • तह-पर-तह देना- (खूब खाना)
  • ताक में रहना- (खोज में रहना)
  • ताड़ जाना- (समझ जाना)
  • ताना मारना-(व्यंग्य वचन बोलना)
  • तारे गिनना- (दुर्दशाग्रस्त होना, काफी चोट पहुँचना)
  • तिनके को पहाड़ करना- (छोटी बात को बड़ी बनाना)
  • तिल का ताड़ बनाना (बात को तूल देना)- सिर्फ बेहूदा, मगर मुहल्लेवालों ने यह तिल का तार कर दिया कि मैने उसे दुनयाभर गालियाँ दी।
  • तीन तरह करना या होना- (नष्ट करना, तितर बितर करना)
  • तुक में तुक मिलाना- (खुशामद करना)
  • तूती बोलना (प्रभाव जमाना )- आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है।
  • तेवर बदलना- (क्रोध करना)
  • तोते की तरह आँखें फेरना- (बेमुरौवत होना)
  • थाली का बैंगन होना- (जिसका विचार स्थिर न रहे)
  • थूक कर चाटना (बात देकर फिरना )- मै राम की तरह थूक कर चाटना वाला नहीं हूँ।
  • थू-थू करना- (घृणा प्रकट करना)
  • दम टूटना (मर जाना )- शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया।
  • दम मारना- (विश्राम करना)
  • दम में दम आना- (राहत होना)
  • दाँव खेलना- (धोखा देना)
  • दायें-बायें देखना- (सावधान होना)
  • दाल गलना- (कामयाब होना, प्रयोजन सिद्ध होना)
  • दाल में काला होना (संदेह होना ) - हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे -धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है।
  • दिन दूना रात चौगुना (खूब उनती )- योजनाओं के चलते ही देश का विकास दिन दूना रात चौगुना हुआ।
  • दिनों का फेर होना- (बुरे दिन आना)
  • दिमाग खाना- (बकवास करना)
  • दिल टूटना- (साहस टूटना)
  • दिल दरिया होना- (उदार होना)
  • दिल बढ़ाना- (साहस भरना)
  • दीदे का पानी ढल जाना- (बेशर्म होना)
  • दुकान बढ़ाना- (दूकान बंद करना)
  • दूज का चाँद होना- (कम दर्शन होना)
  • दूध का दूध पानी का पानी- (निष्पक्ष न्याय)
  • दूध के दाँत न टूटना- (ज्ञान और अनुभव का न होना)
  • दूध के दाँत न टूटना (ज्ञानहीन या अनुभवहीन)- वह सभा में क्या बोलेगा ? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।
  • दो कौड़ी का आदमी (तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति)- किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो ?
  • दो टूक बात कहना (स्पष्ट कह देना)- अंगद ने रावण से दो टूक बात कही।
  • दो दिन का मेहमान (जल्द मरनेवाला)- किसी का क्या बिगाड़ेगा ? वह बेचारा खुद दो दिन का मेहमान है।
  • दो नाव पर पैर रखना- (इधर भी, उधर भी, दो पक्षों से मेल रखना)
  • दौड़-धूप करना (बड़ी कोशिश करना)- कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता ?
  • धज्जियाँ उड़ाना (किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना)- उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।
  • धता बताना- (टालना, भागना)
  • धरती पर पाँव न रखना- (घमंडी होना)
  • धाक जमाना- (रोब होना)
  • धुँआ-सा मुँह होना- (लज्जित होना)
  • धूप में बाल सफेद करना- (बिना अनुभव प्राप्त किये बूढा होना)
  • धूल छानना- (मारे-मारे फिरना)
  • धोती ढीली होना- (डर जाना)
  • धोबी का कुत्ता- (निकम्मा)
  • न इधर का, न उधर का (कही का नही )- कमबख्त ने न पढ़ा, न बाप की दस्तकारी सीखी; न इधर रहा, न उधर का।
  • नजर चुराना- (आँख चुराना)
  • नजर पर चढ़ना- (पसंद आ जाना)
  • नदी-नाव संयोग- (ऐसी भेंट/मुलाकात जो कभी इत्तिफाक से हो जाय)
  • नमक अदा करना- (फर्ज पूरा करना, प्रत्युपकार करना)
  • नमक-मिर्चा लगाना- (बढ़ा-चढ़ाकर कहना)
  • नशा उतरना- (घमण्ड उतरना)
  • नसीब चमकना- (भाग्य चमकना)
  • नाक का बल होना (बहुत प्यारा होना )- इन दिनों हरीश अपने प्रधानाध्यापक की नाक का बल बना हुआ है।
  • नाक काटना (इज्जत जाना )- पोल खुलते ही सबके सामने उसकी नाक कट गयी।
  • नाकों डीएम करना (परेशान करना )- पिछली लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों दम कर दिया।
  • नाच नचाना- (तंग करना)
  • निन्यानबे के फेर में पड़ना- (धन जमा करने के चक्कर में पड़ना)
  • नींद हराम होना- (तंग आना, सो न सकना)
  • नुक़्ताचीनी करना- (दोष दिखाना, आलोचना करना)
  • नेकी और पूछ-पूछ- (बिना कहे ही भलाई करना)
  • नौ-दो ग्यारह होना (चम्पत होना )- लोग दौड़े कि चोर नौ-दो ग्यारह हो गये।
  • पगड़ी उतारना- (इज्जत उतारना)
  • पगड़ी रखना (इज्जत बचाना)- हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।
  • पट्टी पढ़ाना (बुरी राय देना)- तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं ?
  • पते की कहना- (रहस्य या चुभती हुई काम की बात कहना)
  • पहलू बचाना- (कतराकर निकल जाना)
  • पहाड़ टूट पड़ना (भारी विपत्ति आना )- उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।
  • पाँचों उँगलियाँ घी में (पूरे लाभ में)- पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेण्टों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता हैं।
  • पाकेट गरम करना- (घूस देना)
  • पानी उतरना (इज्जत लेना )- भरी सभा में द्रोपदी को पानी उतारने की कोशिश की गयी।
  • पानी करना- (सरल कर देना)
  • पानी का बुलबुला- (क्षणभंगुर वस्तु)
  • पानी की तरह बहना- (अन्धाधुन्ध करना)
  • पानी देना- (तर्पण करना, सींचना)
  • पानी न माँगना- (तत्काल मर जाना)
  • पानी पर नींव डालना- (ऐसी वस्तु को आधार बनाना जो टिकाऊ न हो)
  • पानी पीकर जाति पूछना- (कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य का निर्णय करना)
  • पानी फिर जाना- (बर्बाद होना)
  • पानी में आग लगाना- (असंभव कार्य करना)
  • पानी रखना- (मर्यादा की रक्षा करना)
  • पानी लगना (कहीं का)- (स्थान विशेष के बुरे वातावरण का असर होना )
  • पानी लेना- (अप्रतिष्ठित करना)
  • पानी-पानी करना- (लज्जित करना)
  • पानी-पानी होना- (अधिक लज्जित होना)
  • पापड़ बेलना- (दुःख से दिन काटना)
  • पीठ ठोंकना- (साहस बँधाना)
  • पीठ दिखलाना- (पलायन)
  • पुरानी लकीर का फकीर होना/पुरानी लकीर पीटना- (पुरानी चाल मानना)
  • पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत )- अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।
  • पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख )- पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूँ, तब तुम्हारी सुनूँगा।
  • पैर पकड़ना- (क्षमा चाहना)
  • पोल खुलना- (रहस्य प्रकट करना)
  • पौ बारह होना (खूब लाभ होना)- क्या पूछना है ! आजकल तुम व्यापारियों के ही तो पौ बारह हैं।
  • फफोले फोड़ना- (वैर साधना)
  • फबतियाँ कसना- (ताना मारना)
  • फूंक-फूंक कर कदम रखना- (सावधान होकर काम करना)
  • फूटी आँखों न भाना- (तनिक भी न सुहाना)
  • फूल झड़ना- (मधुर बोलना)
  • फूलना-फलना (धनवान या कुलवान होना)- मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो।
  • फूला न समाना- (काफी खुश होना)
  • बगलें झाँकना- (बचाव का रास्ता ढूँढना)
  • बगुला भगत-(कपटी)
  • बन्दरघुड़की देना- (धमकाना)
  • बहती गंगा में हाथ धोना- (वह मौका हाथ से न जाने देना जिससे सभी लाभ उठाते हों)
  • बाँसो उछलना- (काफी खुश होना)
  • बाग-बाग होना- (खुश होना)
  • बाजार गर्म होना- (सरगर्मी होना, तेजी होना)
  • बाजी ले जाना या मारना (जीतना)- देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है।
  • बात का धनी- (वादे का पक्का, दृढप्रतिज्ञ)
  • बात की बात में- (अतिशीघ्र)
  • बात चलाना- (चर्चा करना)
  • बात न पूछना- (निरादार करना)
  • बात पर न जाना- (विश्वास न करना)
  • बात पी जाना-(बर्दाश्त करना, सुनकर भी ध्यान न देना)
  • बात बनाना- (बहाना करना)
  • बात बनाना (बहाना बनाना)- तुम हर काम में बात बनाना जानते है।
  • बात रहना- (वचन पूरा करना)
  • बातों में उड़ाना- (हँसी-मजाक में उड़ा देना)
  • बायें हाथ का खेल- (सरल होना)
  • बाल की खाल निकालना- (छिद्रान्वेषण करना)
  • बालू की भीत- (शीघ्र नष्ट होनेवाली चीज)
  • बीड़ा उठना (दायित्व लेना)- गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।
  • बेसिर-पैर की बात-(निराधार बात)
  • बोलबाला- (प्रसिद्ध)
  • भनक पड़ना- (उड़ती हुई खबर सुनना)
  • भाड़ झोंकना- (समय नष्ट करना)
  • भाड़े का टट्टू- (गया-बीता)
  • भारी लगना- (असहय होना)
  • भीगी बिल्ली होना (डर से दबना)- वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।
  • भूत चढ़ना या सवार होना- (किसी बात की जिद पकड़ना, रंज के मारे आगा-पीछा भूल जाना)
  • भेड़ियाधसान होना-(देखा-देखी करना)
  • मन के लड्डू खाना- (व्यर्थ की आशा पर प्रसन्न होना)
  • मन खट्टा होना- (मन फिर जाना)
  • मन चलना- (इच्छा होना)
  • मन फट जाना- (विराग होना, फीका पड़ना)
  • मर मिटना- (बर्बाद होना)
  • मांस नोचना- (तंग करना)
  • मिट्टी के मोल बिकना(बहुत सस्ता)- यह मकान मिट्टी के मोल बिक गया
  • मिट्टी पलीद करना- (जलील करना)
  • मिट्टी में मिलना- (नष्ट होना)
  • मीन-मेख करना- (व्यर्थ तर्क)
  • मुँह धो रखना (आशा न रखना)- यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।
  • मुँह बंद कर देना (शांत कराना)- तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो
  • मुँह में पानी आना (लालच होना)- मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
  • मुट्ठी गरम करना (घूस देना)- पुलिस की मुठ्ठी गरम करो ,तो काम होगा।
  • मुठभेड़ होना- (मुकाबला होना)
  • मैदान मारना (बाजी जीतना)- पानीपत की लड़ाई में आखिर अब्दाली ही मैदान मारा।
  • मैदान साफ होना- (मार्ग में बाधा न होना)
  • मोटा आसामी- (मालदार आदमी)
  • मोम हो जाना- (खूब नरम बन जाना)
  • यश गाना- (प्रशंसा करना, एहसान मानना)
  • यश मानना- (कृतज्ञ होना)
  • युगधर्म- (समय के अनुसार चाल या व्यवहार)
  • युग-युग- (बहुत दिनों तक)
  • युगांतर उपस्थित करना- (किसी पुरानी प्रथा को हटाकर उसके स्थान पर नई प्रथा चलाना)
  • रंग उतरना (फीका होना)- सजा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।
  • रंग जमना (धाक जमना)- तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा।
  • रंग बदलना (परिवर्तन होना)- जमाने का रंग बदल गया है।
  • रंग में भंग होना- (आनन्द में बिघ्न पड़ना)
  • रंग लाना- (प्रभाव दिखाना)
  • रंगा सियार- (ढोंगी)
  • रफूचक्कर होना- (भाग जाना)
  • रसातल चला जाना- (एकदम नष्ट हो जाना)
  • राई से पर्वत होना- (छोटे से बड़ा होना)
  • रीढ़ टूटना- (आधार समाप्त होना)
  • रोटियाँ तोड़ना- (बैठे-बैठे खाना)
  • रोना रोना- (दुखड़ा सुनाना)
  • लँगोटिया यार- (बचपन का दोस्त)
  • लँगोटी पर (में) फाग खेलना- (अल्पसाधन होते हुए भी विलासी होना)
  • लकीर का फकीर होना (पुरानी प्रथा पर ही चलना)- ये अबतक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।
  • लग्गी से घास डालना- (दूसरों पर टालना)
  • लल्लो-चप्पो करना- (खुशामद करना, चिरौरी करना)
  • लहू का घूंट पीना- (बर्दाश्त करना)
  • लहू होना- (मुग्ध होना)
  • लाख से लाख होना- (कुछ न रह जाना)
  • लाल-पीला होना- (रंज होना)
  • लाले पड़ना- (मुँहताज होना)
  • लुटिया डुबोना- (काम बिगाड़ना)
  • लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि)- नया काम हैं। सोच-समझकर आगे बढ़ना। कहीं लेने के देने न पड़ जायें।
  • लोहा बजना- (युद्ध होना)
  • लोहा मानना (श्रेष्ठ समझना)- आज दुनिया भरतीय जवानों का लोहा मानती है।
  • लोहे के चने चबाना ( कठिनाई झेलना)- भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
  • वक़्त पर काम आना- (विपत्ति में मदद करना)
  • वचन देना- (जबान देना)
  • वचन हारना- (जबान हारना)
  • शर्म से गड़ जाना- (अधिक लज्जित होना)
  • शर्म से पानी-पानी होना- (बहुत लजाना)
  • शान में बट्टा लगना- (इज्जत में धब्बा लगना)
  • शिकार हाथ लगना- (असामी मिलना)
  • शेखी बघारना- (डींग हाँकना)
  • शौतान की आँत- (बहुत बड़ा)
  • शौतान की खाला- (झगड़ालू स्त्री)
  • श्रीगणेश करना (शुभारम्भ करना)- कोई शुभ दिन देखकर किसी शुभ कर्म का श्रीगणेश करना चाहिए।
  • षटराग (खटराग) अलापना- (रोना-गाना, बखेड़ा शुरू करना, झंझट करना)
  • सन्नाटे में आना/सकेत में आना- (स्तब्ध हो जाना)
  • सफेद झूठ (सरासर झुठ)- यह सफेद झूठ है कि मैंने उसे गाली दी।
  • सब धान बाईस पसेरी- (सबके साथ एक-सा व्यवहार, सब कुछ बराबर समझना)
  • सब्ज बाग दिखाना- (बड़ी-बड़ी आशाएँ दिलाना)
  • समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)- रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहनेवालों को उसने लात मारी।
  • सर गंजा कर देना (खूब पीटना)- भागो यहाँ से, नही तो सर गंजा कर दूँगा।
  • सर धुनना (शोक करना)- राम परीक्षा में असफल होने पर सर धुनने लगी।
  • सर्द हो जाना (डरना, मरना)- बड़ा साहसी बनता था, पर भूत का नाम सुनते ही सर्द हो गया।
  • सवा सोलह आने सही (पूरे तौर पर ठीक)- राम की सेना में हनुमान इसलिए श्रेष्ठ माने जाते थे कि हर काम में वे ही सवा सोलह आने सही उतरते थे।
  • साँप-छछूंदर की हालत (दुविधा)- पिता अलग नाराज है, माँ अलग। किसे क्या कहकर मनाऊँ ?मेरी तो साँप-छछूंदर की हालत है इन दिनों।
  • सात-पाँच करना- (आगे पीछे करना)
  • सिक्का जमना (प्रभाव जमना)- आज तुम्हारे भाषण का वह सिक्का जमा कि उसके बाद बाकी वक्ता जमे ही नहीं।
  • सितारा चमकना या बुलंद होना- (भाग्योदय होना)
  • सिप्पा भिड़ाना- (उपाय करना)
  • सिर खुजलाना (बहलाना करना)- सिर न खुजलाओ, देना है तो दो।
  • सिर पर आ जाना (बहुत नजदीक होना)- परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।
  • सुबह का चिराग होना- (समाप्ति पर आना)
  • सैकड़ों घड़े पानी पड़ना- (लज्जित होना)
  • हक्क-बक्का रह जाना- (भौंचक रह जाना)
  • हजामत बनाना- (ठगना)
  • हड़प जाना- (हजम कर जाना)
  • हड्डी-पसली दुरुस्त करना- (खूब मारना)
  • हथियार डाल देना (हार मान लेना)- जब कुछ करते न बना तो उसने हथियार डाल दिये।
  • हल्का होना- (तुच्छ होना, कम होना)
  • हल्दी-गुड़ पिलाना- (खूब मारना)
  • हवा खिलाना- (कहीं भेजना)
  • हवा पर उड़ना- (इतराना)
  • हवा लगना- (संगति का प्रभाव (बुरे अर्थ में)
  • हाथ के तोते उड़ना- (अचानक शोक-समाचार सुनकर स्तब्ध हो जाना)
  • हाथ देना (सहायता करना )- आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा।
  • हाथ पैर मारना (काफी प्रयास )- राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।
  • हाथ मलना (पछताना )- समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?
  • हाथोहाथ (जल्दी )- यह काम हाथोहाथ होकर रहेगा।
  • हृदय पसीजना- (दयार्द्र होना, द्रवित होना)
  • होश उड़ जाना- (घबड़ा जाना)


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