Saturday 21 October 2017

छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना

भू-गर्भिक संरचना से तात्पर्य किसी प्रदेश के भूतल के नीचे पायी जाने वाली चट्टानों की संरचना एवं बनावट से होता है । जिसकी सहायता से प्रदेश की मिटटी ,खनिज, वनों की विविधता, और कृषि योग्य भूमि आदि का अध्यन किया जाता  है|  छत्तीसगढ़ राज्य की भू-गर्भिक संरचना का विवरण निम्न है - 

क्रमांक
शैल समूह
विस्तार
विवरण
खनिज
1
अर्कियान युग के शैल समूह
बघेलखंड का पठार - अंबिकापुर 
जसपुर समरी पाट   -समरी, जशपुर, बगीचा, कुनकुरी, पत्थलगांव क्षेत्र में पाए जाते है.
छत्तीसगढ़ का मैदान - घरघोड़ा , पेंड्रा, लोरमी, पंडरिया, महासमुंद, राजिम, कुरूद, धमतरी में उपलब्ध.
दण्डकराय का पठार - चारामा, भानुप्रतापपुर, कांकेर ,कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाडा क्षेत्र
यह पृथ्वी की प्राचीनतम एवं कठोर चट्टान है तथा सबसे गहराई में पी जाती है .यह चट्टान मुलतः लावा के ठंडा होने से निर्मित जीवाश्म रहित चट्टाने है
ग्रेनाईट, फेल्सपार, क्वार्टज़
2
धारवाड़ शैल समूह
इसकी 3 सीरिज है 
1.बिलासपुर संभाग में चिल्फी घाटी.
2.रायपुर संभाग में सोनाखान सीरिज.
3.दुर्ग - बस्तर संभाग में लौह अयस्क सीरिज . 

ये जलीय अवसादी चट्टानें है जो आर्कियाँ चट्टानों के अपरदन से निर्मित है इसमें भी जीवाश्म नहीं होता है
लौह अयस्क
3
कडप्पा शैल समूह
इसके 2 वर्ग है  -रायपुर श्रेणी और चंद्रपुर श्रेणी

ग्रेनाईट चट्टानों के अपरदन से कडप्पा शैल समूह का निर्माण हुआ है ,पंखाकर आकृति में इन्ही चट्टानों  से छत्तीसगढ़ के मैदान का निर्माण हुआ है
स्लेट , चूनापत्थर , डोलोमाईट , एवं क्वार्टज़
4
विध्यन शैल समूह  
रायपुर , बालोद , और जगदलपुर के क्षेत्रों
कडप्पा काल के बाद इसका निर्माण हुआ है
चुना पत्थर , बलुआ पत्थर
5
प्री - कैम्ब्रियन शैल समूह  
दुर्ग , बालोद जिला और राजनंदगांव के कुछ क्षेत्रों
ज्वालामुखी उद्भेदन से कडप्पा समूह के दक्षिण -पश्चिम भाग में इसका निर्माण हुआ

6
दक्कन ट्रैप
कोरबा , कवर्धा, सरगुजा एवं जशपुर
दरारी ज्वालामुखी से निकले बेसाल्ट युक्त लावा से दक्कन ट्रैप शैल समूह का निर्माण हुआ है दक्कन ट्रैप के अपरदन से कलि मिटटी का निर्माण हुआ है
बाक्साइट
7
गोंडवाना शैल समूह
उपरी गोंडवाना शैल क्रम मनेन्द्रगढ़ , बैकुंठपुर, जशपुर
निचली गोंडवाना शैल क्रम सरगुजा , कटघोरा, कोरबा , खरसिया, रायगढ़
नदियों के अवसादों से युगों से जमे वनस्पत्ति एवं जीवों के अवशेष से एन चात्तानोंका निर्माण हुआ है 

कोयला

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